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कुंडली में कितने दोष होते हैं?

कुंडली में कितने दोष होते हैं?

कुंडली दोष – ज्योतिष शास्त्र के दुनिया में लिया जाने वाला एक सामान्य किन्तु गंभीर वाक्य।  जिससे हम सभी भली भांति जागरूक हैं। लेकिन क्या होता है ये कुंडली दोष।  कुछ कुंडली दोष जैसे काल सर्प दोष, पितृ दोष, मांगलिक अथवा मंगल दोष, तो जाने पहचाने दोष हैं, लेकिन इनके इलावा भी एक जातक की कुंडली कुछ अहम् दोषों से ग्रसित हो सकती है।  आज इस आर्टिकल में हम कुंडली के अधिकतर दोषों का वर्णन करेंगे एवं आपको बताएंगे इनसे होने वाले प्रभाव।  किस तरह कुंडली के ये दोष आपको और आपसे जुड़े लोगों की ज़िन्दगियों को प्रभावित करते हैं, आज हम इन्ही पहलुओं पर नज़र डालेंगे।

जन्म तिथि से कुंडली दोष कैसे पता चलेगा?

जैसा की हम अक्सर बताते हैं, की कुंडली का पहला मूल जातक के जन्म से जुड़ा होता है।  जन्म का समय, जन्म का स्थान, जन्म का दिन और जन्म की घडी पे ग्रहों एवं नक्षत्रों की दशा ही कुंडली का सही आधार होती है।  तो अगर आप कुंडली के दोषों की बात कर रहे हैं, तो उसका उत्तर तो संभवतः जन्म तिथि में ही होगा।  जी हाँ, वैदिक ज्योतिष के विज्ञाता आपको बड़े ही आसानी से जन्म तिथि के द्वारा कुंडली दोष के बारे में बता सकते हैं।  इसके अतिरिक्त, आज कल तो बहुत सारी होरोस्कोप एप्प मौजूद हैं, जिनकी सहायता से आप अपनी जन्म तिथि डाल कर अपने कुंडली से जुडी किसी भी दोष के बारे में पता लगा सकते हैं।  एक अच्छी ज्योतिष एवं होरोस्कोप ऐप जैसे की कर्मा ज्योतिष ऐप – आपको हर तरह के सवालों के जवाब दे सकती है – विवाह से जुड़े सवाल हों, या जीवन काल की भविष्यवाणी। 

आइये जानें कुंडली से जुड़े दोषों में बारे में – विस्तार से –

कई बार ऐसा होता है की जातक को पता ही नहीं होता की आखिर इतना परिश्रम करके भी उसे सफलता क्यों नहीं मिल रही, अथवा जितना भी कमा ले उसे कमी ही रहती है, एवं कई बार तो ऐसा भी होता है की सब कुछ होने के बाद भी मन तथा परिवार की तरफ से नकारात्मकता  रहती है।  कभी सोचा है ऐसा क्यों होता है।  ऐसा अक्सर कुंडली दोष के कारण ही होता है।  कई लोग इसे कर्मा का नाम देते हैं, तो कई कुछ और, लेकिन सही कारण आपकी कुंडली का निरिक्षण ही बता सकता है।  अगर किसी अच्छे ज्योतिषाचार्य से सम्पर्क किया जाये।  कुंडली दोष कई प्रकार के हो सकते हैं जैसे की कालसर्प दोष, गुरु चांडाल दोष, विष दोष, मंगल दोष, केन्द्राधिपति दोष, पितृ दोष।  इन सभी दोषों के प्रभाव अलग अलग होते हैं, और इनका निवारण भी अलग अलग तरह से होता है।

इन सभी दोषों में से मंगल दोष ऐसा दोष है जो विवाह में अड़चन पैदा अक्सर करता है। कुंडली में मंगल दोष का होना विवाह में देरी के साथ साथ, वैवाहिक जीवन में असहयोग एवं अशांति का भी कारन बन सकता है अगर समय रहते, इसका उपाय न किया जाये। चलिए जानें सभी कुंडली दोषों के बारे में –

मंगल दोष –  मंगल दोष के बारे में आपने सुना तो है, लेकिन क्या आप जानते हैं की कैसे लगता है मंगल दोष।  अगर आपकी कुंडली में मंगल ग्रह कुंडली के 4, 7, 8 एवं 12 भाव/घर में हो तो ये स्थिति मंगल दोष की बनती है।  मंगल दोष को ही मांगलिक दोष कहा जाता है।  मंगल दोष वाले जातक को हमेशा मंगल दोष  वाले पुरुष/स्त्री से ही विवाह करना चाहिए।  यदि इस दोष को अनदेखा करके विवाह कर लिया जाए तो वैवाहिक दंपत्ति को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है।  जैसे की घर में कलह कलेश, दाम्पत्य सुख में कमी , विवाह के बाद यौन स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएं इत्यादि।  इसलिए ये अनिवार्य है की मंगल दोष के लिए उपाय किया जाये।

कुंडली में मंगल दोष कैसे कटता है?

मंगल दोष अगर आपकी कुंडली में है तो उसके लिए निम्नलिखित उपाय करें जिससे आपको अवश्य लाभ महसूस होगा।

  • मंगल की पूजा करें। मंगल पूजा ग्रह शांति के लिए लाभकारी सिद्ध होगी।
  • मंगलवार को नियमित रूप से हनुमान मंदिर जाएं एवं प्रशाद बूंदी का अथवा बेसन लड्डू/बर्फी का लगाएं। हनुमान चालीसा का पाठ करें।
  • मंगलवार का व्रत भी करें।
  • किसी ज्योतिषी से मिल कर मंगल ग्रह शांति पूजा करवाएं एवं मूगा रत्न पहनें। तीन मुखी रुद्राक्ष भी धारण करना शुभ होगा।
  • मंगल दोष कुंडली में है तो विवाह से पूर्व किसी जगह पे नीम का वृक्ष ज़रूर लगाएं। इस वृक्ष को 43 दिन पानी इत्यादि दें। ये उपाय मंगल दोष शान्ति के लिए सिद्ध उपाय है।

कालसर्प दोष – ग्रहों एवं नक्षत्रों की दशा आपके जन्म के समय कैसे है, इसे से कुंडली में कालसर्प दोष बनता है।  राहु और केतु का एक दुसरे के सामने होना एवं बाकि ग्रहों का एक तरफ होने से कुंडली में काल सर्प दोष बनता है।  इस दोष की वजह से जातक को जीवनकाल में कई सारे दुखों एवं असफलताओं का सामना करना पड़ता है।  कालसर्प दोष से ग्रसित जातक को शिवजी की उपासना नियमित रूप से करनी चाहिए।  उसके साथ साथ, एक अच्छे ज्योतिषी से भी समपर्क कर उपाय करने चाहिए जिससे की जीवन की कठिनाईयों को कम किया जा सकता है।

विष दोष – कुंडली में अगर शनि एवं चन्द्रमा एक साथ एक घर में विराजमान हों तो इससे विष दोष बनता है।  विष दोष का प्रभाव भी अशांति एवं असफलताओं को उत्पन्न करता है।  इस दोष के निवारण एवं शांति हेतु  जातक को नागपंचमी के दिन व्रत करना लाभदायक सिद्ध होगा।  इसके अतिरिक्त, हर पंचमी को अगर व्रत किया जाए तो बहुत अच्छा होगा।

गुरु चांडाल दोष – अगर किसी कुंडली में गुरु राहु के साथ आ जाये तो इससे गुरु चांडाल दोष बनता है।  ऐसा जातक इस दोष के प्रभाव के कारण काफी तकलीफ से भरा जीवन जीता है।  इस दोष के प्रभाव को कम करने का सबसे बेहतर उपाय है की राहु के मंतोच्चारण कर एकाग्रता से ध्यान करें वो भी गुरुवार के दिन।  ऐसा करने से आपकी ज़िन्दगी में शांति आएगी और आप बेहतर महसूस करेंगे।

केन्द्राधिपति कुंडली दोष – कुंडली में केंद्र भाव पहला, सातवां, एवं दसवां घर होता है। यदि कन्या एवं मिथुन राशि वाले जातकों की जन्म कुंडली में गुरु चौथे, दसवें एवं सातवें घर में विराजमान हों तो उससे बनता है केन्द्राधिपति दोष।  इसके साथ साथ यदि धनु एवं मीन राशि के जातकों की कुंडली में पहले, चौथे, सातवें एवं दसवें घर में बुध विराजमान हों तो भी केन्द्राधिपति दोष बनता है कुंडली में।

पितृ दोष – जातक जिनकी कुंडली के नौवें भाव/घर में शुक्र, बुध अथवा राहु बैठे हों तो ये दशा पितृ दोष पैदा करती है।  इसके साथ साथ यदि दशम भाव/घर में बृहस्पति विराजमान हों तो भी पितृ दोष बनता है।  यही नहीं, कुंडली में यदि सूर्य के ऊपर राहु/केतु एवं शनि की यदि दृष्टि आये तो इससे जातक पे पितृ ऋण की दशा बनती है।

आपको अपनी कुंडली मिलान की जांच करनी चाहिए क्योंकि वहां हम शादी से पहले कुंडली दोष की जांच कर सकते हैं। हैप्पी मैरिज लाइफ के लिए उनका शमदान शाम पे करा सकते है। या अगर आप भी अपने जीवन में किसी तरह की कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं, लेकिन उस कठिनाई के पीछे के कारण से अज्ञात हैं, तो आज ही अपनी कुंडली को किसी अच्छे ज्योतिषी से दिखवाएं। कुंडली दोष का होना शायद आपकी ज़िन्दगी के कष्टों का एक कारण हो सकता है। तो उस दोष को जान, उसका समाधान आज ही करवाएं।

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Source: https://kundlihindi.com/blog/kundli-me-kaise-dekhe-dosh/

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